Friday, April 18, 2008

"लिखें हम "





"लिखें हम "


तेरा अफ़साना लिखें हम , तेरा तराना लिखें हम ,
तेरा आना जाना देख , तेरा इतराना लिखें हम .

तेरी पलकों का झुक जाना , कुछ सोच के घबरा जाना ,
तेरा खिल्खीलाना देखें तो, तेरा शर्माना लिखें हम .

तेरी आँखों की मदहोशी , तेरे लबों के खामोशी ,
तेरी बातें जो सुन लें तो , तेरा चह्चाना लिखें हम .

तेरे चेहरे की ये मस्ती , जैसे फूलों की ताजगी ,
तेरी इस बेखुदी मे फ़िर तेरा लहराना लिखें हम .

कभी यूं रूठ के जाना , कभी आँखों मे ही मुस्काना ,
तेरी इस अदा से फ़िर , दिल का बहलाना लिखें हम .

सांसों को महकती तेरी सुबह , दिल को धड़कती तेरी शामें ,
तेरे प्यार मे डूबे दिन रात का एक फसाना लिखें हम .

आज ये दिल चाहे फ़िर तेरा नजराना लिखें हम ,
जो कभी खत्म ना हो तेरा वो खजाना लिखें हम ….