Friday, October 24, 2008

"SATH"







"साथ"
बस एक तेरे "साथ" की प्यासी मेरे तन्हाई है,
मेरे इन निगाहों मे सिर्फ़ तेरे इंतजार की परछाई है.
चांदनी कहाँ मिलती है, वो भी अंधेरों मे समाई है,
रोशनी के लिए हमने ख़ुद अपनी ही ऑंखें जलाई हैं.
करवट- करवट रात ने हर तरफ उदासी फेलाई है,
ऐसे मे ना जिन्दगी करीब है, ना हमें मौत ही आयी है.
तेरे प्यार की तलब ही इस दिल के गहराई है,ह
मने आंसुओं के सैलाब मे अपनी हर आस बहाई है.
हवा की सरसराहट से भी लगे तेरी ही आहट आयी है,
इस एक उम्मीद मे हमने जाने कितनी सदीयाँ बीताई हैं.
http://www.parikalpnaa.com/2009/01/2008-5.html

Thursday, October 23, 2008

"chley aao"


























































"चले आओ"





आज फिर दिल तुझे याद किए है


चले आओ


आज फिर हर एक फरियाद लिए हैं


चले आओ


हर तरफ़ मायूसियों से घिरे साए हैं


आज फिर ये दिल परेशान किए है


चले आओ
हर एक चोट सिसक कर उभर आई है


आज फिर हर ज़ख़्म से लहू बहे है


चले आओ
ये दिल बेआस, हर निगाह में प्यास है,


आज फिर मुलाकात को दिल चाहे है


चले आओ
शिकवे किए खुद से, और शिकायतें भी हैं,


आज फिर हमें ये किस्से उलझाएँ हैं,


चले आओ
तेरे आने का गुमान करती हर आहट है,


आज फिर ज़िंदगी से पहले मौत आए है


चले आओ