Saturday, November 9, 2013

"हथेली पे उतारा हमने" published in "SAADAR INDIA" Oct 2013

Nazm Published in "SAADAR INDIA" Oct 2013 

"हथेली पे उतारा हमने" 

रात भर चाँद को चुपके से 
हथेली पे उतारा हमने 
कभी माथे पे टिकाया 
कभी कंगन पे सजाया 
आँचल में टांक के मौसम की तरह 
अपने अक्स को संवारा हमने 

रात भर चाँद को चुपके से 
हथेली पे उतारा हमने 
सुना उसकी तन्हाई का सबब 
कही अपनी दास्तान भी 
तेरे होटों की जुम्बिश की तरह 
पहरों दिया सहारा हमने 

रात भर चाँद को चुपके से 
हथेली पे उतारा हमने 
अपने अश्को से बनाके 
मोहब्बत का हँसीं ताजमहल 
तेरी यादों की करवटों की तरह 
यूँ हीं एक टक निहारा हमने 

रात भर चाँद को चुपके से 
हथेली पे उतारा हमने 

-------------------------
Raat bhar chaand ko chupke se
Hatheli pe utara humne, 
kabhi mathe pe tikaya,
kabhi kangan pe sajaya
AaNchal meiN taaNk ke mausam ki tarah,
apne aks ko saNwara humne

Raat bhar chaand ko chupke se
Hatheli pe utara humne
suna uski tanhayi ka sabab,
kahi apni daastaan bhi,
tere honthoN ki jumbish ki tarah,
pehroN diya sahara humne

Raat bhar chaand ko chupke se
Hatheli pe utara humne
apne ashkoN se banake ,
Mohabbat ka haNsi Tajmahal
teri yaadoN ki karwatoN ki tarah
YuNhi ek tak nihara humne
Raat bhar chaand ko chupke se
Hatheli pe utara humne-

No comments: