Thursday, February 7, 2013

गुफ्तगू के मार्च-2013 अंक का कवर


गुफ्तगू के मार्च-2013 अंक का कवर


"POETRY PUBLISHED IN ONE OF LITERARY MAGAZINE "SANSKAAR SARTHI " JANUARY -2013 (DELHI)"

"POETRY PUBLISHED IN ONE OF LITERARY MAGAZINE "SANSKAAR SARTHI " JANUARY -2013 (DELHI)"


'दर्द हूँ मैं "---------------------
अश्कों से नहाया,
लहू से श्रृंगार हुआ,
सांसों की देहलीज पर कदम रख,
धडकनों से व्योव्हार हुआ,

लबों की कम्पन से बयाँ..
जख्म की शक्ल मे जवान हुआ..
कभी जिस्म पे उकेरा गया,
सीने मे घुटन की पहचान हुआ,
रगों मे बसा, 
लम्हा लम्हा साथ चला,
कराहों के स्वर से विस्तार हुआ,
हाँ, दर्द हूँ मै , पीडा हूँ मै...
मेरे वजूद से इंसान कितना लाचार हुआ....

Poetry published in "KHABARYAR hindi newspaper" 29th Jan 2013 Bhopal

Poetry published in "KHABARYAR hindi newspaper" 29th Jan 2013 Bhopal


"नसीब"

कुछ सितारे
मचल के जिस पहर
रात के हुस्न पे दस्तक दें
निगोड़ी चांदनी भी लजाकर
समुंदर की बाँहों में आ सिमटे
हवाओं की सर्द ओढ़नी
बिखरे दरख्तों के शानों पे
उस वक़्त तू चाँद बन
फलक की सीढ़ी से फिसल जाना
चुपके से मेरी हथेलियों पर
वो नसीब लिख जाना
जिसकी चाहत में मैंने
चंद साँसों का जखीरा
जिस्म के सन्नाटे में
छुपा रखा है ...
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"चांदनी पीती रही"

आँखे सुराही घूंट घूंट
चांदनी पीती रही
इश्क की बदनाम रूहें
अनकहे राज जीती रही
रात रूठी बैठी रही
नाजायज ख्वाब के पलने झुला
नींद उघडे तन लिए
पैरहन खुद ही सीती रही
हसरतों के थान को
दीमक लगी हो वक़्त की
बेचैनियों के वर्क में
उम्र ऐसी बीती रही
आँखे सुराही घूंट घूंट

चांदनी पीती रही