Ghazal
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मोहब्बतों के हसीं पलों को , वो तितलियों का ख्याल देगा
की ख्वाब सारे बस एक शब् में , वो मेरी आँखों में ढाल देगा
मैं रूठ जाउंगी लाख उस से ,मुझे मना ही वो लेगा आखिर
करीब आकर या मुस्कुराकर , मिज़ाज मेरा संभाल देगा
जो पल भी बीतेगा कुरबतों में , हसीं , चंचल सी चाहतों में
मुझे यकीन है की मेरे दिलबर ,वो मेरे माज़ी को हाल देगा
जो शख्स बिछडा है आज मुझ से बहार मोसम की इब्तदा मैं
कहा था उस ने की चाहतों को कभी ना रंग -ए -ज़वाल देगा
की ले के अंम्बर से वो सितारे जो मेरा आँचल सजा रहा था
किसे पता था की वही आँचल वो मेरी अर्थी पे डाल देगा
वो साथ होगा तो ये सफ़र भी आसानियों से कटेगा अपना
यकीन है मुझ को - मैं जानती हूँ वो सारे रास्ते उजाल देगा
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वो ,हम सुखन है वो हमसफर है तो कोई ग़म भी नहीं है सीमा
मैं जानती हूँ मिज़ाज अपना वो मेरे शेरों में ढाल देगा
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Nazm
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ऐ जाने -जहां ...
है तेरा ही ख्याल
तु मेरा शोक़ है कहाँ
तेरा शोके- तमाशा हूँ मैं
मेरे ज़ब्त का मुदावा है तु मगर
दश्ते -दिल में उतर आई है
फ़िराक के लम्हों की रौनकें कितनी
इक आलमे - बेक़रारी में
निगाह गाफ़िल है तुझसे
मुझ में तुझ से खुलते तो है
मजबूर तकाजों के दरीचे लेकिन
अब मैं हूँ तुझ से वाबसता
मेरी तन्हाई है
भीगी हुई रात का फूसुं है हर सू
लरजते रहते हैं मेरी पलकों पर
तेरी याद के शबनमी मोती
ऐ जाने -जहां ...
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