Saturday, June 10, 2017

Poetry published in News Paper "Gurgaon Today".


epaper.gurgaontoday.in/25052017/page/4
Poetry published in News Paper "Gurgaon Today".
"Koi DarmaN Nahi Milta"
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Suno jaana

Bahut kuch tum say kehna Hai...

Nahi ab chup sa rehna Hai.....

Ajab jazbat hain dil men

Naye naghmat hain dil men

Ajab si ek tamanna jo

Hamare dil me palti hai.

Machalti hai chalakti hai

Homak kar banheen phailati

Wo jaise..

Koi nadaan bachchi ho

Kabhi aansu chalakte haIn

Kabhi ek khowf taari hai

Kisi ko Kia batayein ham

hamara dil nahi lagta.

Hamaray man k sagar men

nai mowjeen obharti hain.

Naiy toofan atay hain.

Hamaray dil k aaNgan men

Yahi mehman atay hain

Hua hai Kia ajab ham ko

Hai dil me zakhm bhi aisa

Koi marham nahi jiska

Asar ki be- yaqeeni say

Dua bhi kaNp jati hai

Koi darmaN nahi milta

Koi chara nahi milta
(Seema)
कोई दरमान नहीं मिलता
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सुनो जाना
बहुत कुछ तुमसे कहना है
नहीं अब चुप सा रहना है
अज़ब जज़्बात हैं दिल में
नये नगमात हैं दिल में
अज़ब सी एक तमनना जो
हमारे दिल में पलती है
मचलती है छलकती है
हुमक कर बाहें फैलाती
वो जैसे....
कोई नादान बच्ची हो
कभी आँसु छलकते हैं
कभी एक खोफ़ तारी है
किसी को क्या बताएँ हम
हमारा दिल नहीं लगता
हमारे मन के सागर में
नई मोंजें उभरती हैं
नए तुफ़ान आते हैं
हमारे दिल के आँगन में
यही मेहमान आते हैं
हुआ है क्या अजब हम को
है दिल में ज़ख्म भी ऐसा
कोई मरहम नहीं जिसका
असर की बे यकीनी से
दुआ भी कांप जाती है
कोई दरमान नहीं मिलता
कोई चारा नहीं मिलता

Tuesday, June 6, 2017

Seema Gupta poetry on Lok Sahba TV Channel


http://www.setumag.com/2017/05/Seema-Gupta-Ghazal.html
Poetry published in Bilingual journal published from Pittsburgh, USA :: पिट्सबर्ग अमेरिका से प्रकाशित द्वैभाषिक
मुसलसल आह भरती जा रही हूँ 
दुआएँ रोज़ करती जा रही हूँ 

ख़फा हो कर ख़ुशी से जी रहा है 
मै जिस पे रोज़ मरती जा रही हूँ 

खुद अपनी जात पे इलज़ाम दे कर
ना जाने क्यों बिखरती जा रही हूँ

वहां दरया रवां है रेत का बस
जहाँ से मैं गुज़रती जा रही हूँ

बहुत है होंसला उल्फ़त में मुझको
मगर दुनिया से डरती जा रही हूँ

किनारे पर खड़ी हूँ या के मै भी
समंदर में उतरती जा रही हूँ

ग़ज़ल का आइना है रूबरू अब
ख्यालों में संवरती जा रही हूँ

Wednesday, May 31, 2017

Poetry published in Bilingual journal published from Pittsburgh, USA

http://www.setumag.com/2017/05/Seema-Gupta-Ghazal.html
Poetry published in Bilingual journal published from Pittsburgh, USA :: पिट्सबर्ग अमेरिका से प्रकाशित द्वैभाषिक.
प्यार का दर्द भी काम आएगा दवा बनकर,
आप आ जाएँ अगर काश मसीहा बनकर। 
तुम मिरे साथ जो होते तो बहारें होतीं, 
चीखते फिरते न सहराओं की सदा बनकर।
मैंने हसरत से निगाहों को उठा रक्खा है, 
तुम नज़र आओ तो महताब की ज़िया बनकर।
मैं तुझे दिल में बुरा कहना अगर चाहूँ भी,
लफ़्ज़ होंठों पे चले आएँगे दुआ बनकर।
मैं किसी शाख़ पे करती हूँ नशेमन तामीर,
तुम भी गुलशन में रहो ख़ुश्बु-ओ-सबा बनकर।
मुन्तज़िर बैठी हूँ इक उम्र से तश्ना सीमा,
सहने-दिल पे वो न बरसा कभी घटा बनकर